चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि Chand Ko Arghya Dene Ki Vidhi

भारतीय संस्कृति में चंद्रमा को एक महत्वपूर्ण ग्रह के रूप में पूजा जाता है। चंद्र देव न केवल धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उनका सीधा संबंध मानसिक शांति और संतुलन से भी है। चंद्रमा को अर्घ्य देना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर पूर्णिमा और करवा चौथ जैसे पर्वों पर। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, चंद्र को अर्घ्य देने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि इससे जीवन में समृद्धि और सुख का भी आगमन होता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि और इसके फायदे क्या हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि चंद्र दोष से मुक्त होने के लिए किस प्रकार चंद्र पूजा की जाती है। इस प्रक्रिया से जुड़ी ज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताओं को भी ध्यान में रखा गया है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

चंद्रमा का महत्व (Importance of Moon God)

चंद्रमा को नवग्रहों में सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। यह हर ढाई दिन में राशि बदलता है और कर्क राशि का स्वामी है। चंद्रमा का संबंध सीधे हमारे मन, भावनाओं, और मानसिक संतुलन से है। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य, उसकी भावनाओं और सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करती है।

यदि चंद्रमा की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति मानसिक रूप से संतुलित और सुखी होता है। वहीं, चंद्र दोष होने पर व्यक्ति को मानसिक अशांति, तनाव, और नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है। चंद्रमा के अशुभ होने पर व्यक्ति को माता का सुख नहीं मिल पाता और जीवन में निराशा और एकाग्रता की कमी बनी रहती है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व (Significance of Offering Arghya to the Moon God)

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, चंद्रमा को शीतलता, शांति, और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन की अशांति दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। यह प्रक्रिया व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

चंद्रमा को अर्घ्य देने से जुड़ी कुछ प्रमुख मान्यताएँ इस प्रकार हैं:

  1. मानसिक शांति: चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक तनाव कम होता है और मन में स्थिरता आती है।
  2. धन और समृद्धि: चंद्रमा को अर्घ्य देने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  3. स्वास्थ्य: चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  4. संतान सुख: जिन लोगों को संतान की प्राप्ति में कठिनाई हो, उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से लाभ मिलता है।
  5. कुंडली दोष निवारण: यदि किसी की कुंडली में चंद्र दोष हो, तो उसे अर्घ्य देने से वह दोष दूर हो सकता है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि (How to Offer Arghya to the Moon)

चंद्रमा को अर्घ्य देने की सही विधि का पालन करने से ही इसका पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, अर्घ्य देने की प्रक्रिया निम्नलिखित है:

  1. शुद्ध जल का पात्र लें: सबसे पहले एक शुद्ध पात्र में जल भरें। यदि चांदी का पात्र हो तो यह सबसे उत्तम होता है, लेकिन तांबा या अन्य धातु का पात्र भी लिया जा सकता है।
  2. अर्घ्य सामग्री: जल के साथ थोड़ी सी मिश्री, दूध, चंदन, सफेद फूल और इत्र मिला लें। यह सामग्री पूजा के दौरान शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक होती है।
  3. जल का अर्पण: अर्घ्य देते समय आप एक हाथ में सुपारी, पान और अपने केश का कोना पकड़ सकते हैं और दूसरे हाथ से चंद्रमा की ओर जल अर्पित करें।
  4. दिशा और समय: अर्घ्य देते समय उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जल अर्पित करें। चंद्रमा के उदय के बाद अर्घ्य देना सबसे शुभ माना जाता है।
  5. मंत्र उच्चारण: अर्घ्य देते समय “ॐ सों सोमाय नमः” और “ॐ चंद्राय नमः” मंत्रों का उच्चारण करें। यह मंत्र चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए सबसे उपयुक्त माने गए हैं।
  6. जल ग्रहण और पारण: अर्घ्य देने के बाद उस जल को ग्रहण करें। व्रतधारी इस प्रक्रिया के बाद ही पारण कर सकते हैं।

चंद्रमा को अर्घ्य देने के फायदे (Benefits of Offering Arghya to the Moon)

चंद्रमा को अर्घ्य देने से कई धार्मिक और ज्योतिषीय लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभों का विवरण दिया जा रहा है:

  1. मानसिक शांति और स्थिरता: चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इससे मन में स्थिरता आती है और व्यक्ति तनावमुक्त रहता है।
  2. धन-संपत्ति में वृद्धि: यह मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और उसके धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  3. संतान सुख: चंद्रमा को अर्घ्य देने से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। ऐसे लोग जिनकी संतान की कामना होती है, उन्हें विशेष लाभ मिलता है।
  4. कुंडली में चंद्र दोष का निवारण: जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर होती है, उन्हें अर्घ्य देने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार: चंद्रमा को अर्घ्य देने से न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उसे मानसिक तनाव से राहत मिलती है।
  6. नकारात्मकता से मुक्ति: अर्घ्य देने से मन में उत्पन्न होने वाली नकारात्मक भावनाएँ दूर होती हैं। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है और उसके जीवन में शांति और समृद्धि लाती है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

करवा चौथ और चंद्रमा की पूजा (Karva Chauth and Worship of the Moon)

करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही इस व्रत को पूरा माना जाता है। करवा चौथ की पूजा विधि में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। चंद्र दर्शन के बाद अर्घ्य देने से व्रतधारी महिला अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती है।

इस प्रक्रिया में महिलाएं छलनी से पहले चंद्रमा और फिर अपने पति के दर्शन करती हैं। यह परंपरा परिवार के लिए शुभ मानी जाती है और इससे दांपत्य जीवन में प्रेम, समर्पण और विश्वास की भावना प्रबल होती है।

अर्घ्य देने के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें (Important Tips While Offering Arghya)

  1. जल की शुद्धता: अर्घ्य देने के लिए उपयोग किए जाने वाले जल की शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण है। जल को शुद्ध पात्र में ही भरें और उसमें दूध, मिश्री और फूल मिलाएं।
  2. समय: चंद्रमा को अर्घ्य देने का सही समय चंद्रोदय के बाद होता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से आकाश में दिखाई दे तो उस समय अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।
  3. दिशा: अर्घ्य देते समय उत्तर-पश्चिम दिशा में मुख करके जल अर्पित करना चाहिए। यह दिशा चंद्र देव की पूजा के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।
  4. मंत्र उच्चारण: अर्घ्य देने के दौरान सही मंत्रों का उच्चारण करना अनिवार्य है। मंत्र “ॐ सों सोमाय नमः” और “ॐ चंद्राय नमः” का तीन बार उच्चारण करें।
  5. श्रद्धा और भक्ति: अर्घ्य देते समय व्यक्ति को अपने मन को पूर्णतः एकाग्र करना चाहिए और श्रद्धा एवं भक्ति के साथ चंद्र देव से प्रार्थना करनी चाहिए।

निष्कर्ष : चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक शांति, समृद्धि, और सुख-शांति के लिए भी लाभकारी

पंडित गौरव शास्त्री एक प्रतिष्ठित विद्वान और लेखक हैं, जो 108vedas.com वेबसाइट के लिए लेखन करते हैं। उन्हें वेद, पुराण, नक्षत्र और सनातन संस्कृति का गहन ज्ञान है। पंडित गौरव ने ऋषिकुल संस्कृत महाविद्यालय, गुरुग्राम से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की है। शास्त्री जी ने अपने लेखन के माध्यम से प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र की महिमा को जनसाधारण तक पहुँचाने का कार्य करते हैं, जिससे लोगों को सनातन धर्म की गहरी समझ और उसकी महत्ता का बोध हो सके।

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