Chandrama Ko Arg Dene Ka Mantra: हिंदू धर्म में चंद्रमा को अर्घ्य देने की प्राचीन परंपरा अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टिकोण से चंद्रमा को अर्घ्य देना एक पवित्र अनुष्ठान है, जिसे विभिन्न व्रतों और उत्सवों पर विशेष रूप से किया जाता है।
सकट चौथ, करवा चौथ, शरद पूर्णिमा और संकष्टी चतुर्थी जैसे कई अवसरों पर चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने की विधि को बहुत शुभ माना गया है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय क्या मंत्र बोलना चाहिए, इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व क्या है, और इसे करने की सही विधि क्या है।
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय क्या मंत्र बोलते हैं?
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
“ॐ सोमाय नमः”
इस मंत्र से चंद्रमा को प्रसन्न किया जाता है और पति की लंबी उम्र व स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
यह मंत्र चंद्रमा के प्रति समर्पण और आभार प्रकट करता है। इस मंत्र के उच्चारण से भक्त अपने कष्टों और समस्याओं से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व
हिंदू धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में चंद्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। इसे मन का कारक ग्रह माना जाता है, जो हमारी मानसिक शांति, भावनाओं और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। चंद्रमा को जल अर्पण करने से मन में स्थिरता आती है और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
इसके अलावा, यह व्रत और उपवास की पूर्णता के लिए भी महत्वपूर्ण है। करवा चौथ, सकट चौथ, और शरद पूर्णिमा जैसे व्रतों में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। यह क्रिया केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार भी मनोबल को मजबूत करती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि
चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि बहुत सरल है, लेकिन इसे सही तरीके से करना आवश्यक है ताकि पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके। अर्घ्य देते समय निम्नलिखित विधि का पालन किया जाना चाहिए:
1. पूजा की तैयारी
पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और वहां एक साफ़ स्थान पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। एक चांदी का लोटा या तांबे का पात्र लें और उसमें जल भरें। इसमें गाय का दूध, अक्षत (चावल), और सफेद फूल भी डालें। चंद्रमा के उदय का समय जान लें, ताकि सही समय पर अर्घ्य दे सकें। उदाहरण के तौर पर, सकट चौथ पर चंद्रमा 9:10 PM पर उदय होता है, उस समय अर्घ्य देना चाहिए।
2. चंद्रमा को जल अर्पण
चंद्रमा के उदय के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके खड़े हों। जल से भरा पात्र हाथ में लें और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें। जल धीरे-धीरे चढ़ाते समय चंद्रमा को देखें और उपर्युक्त मंत्र का उच्चारण करें। चंद्रमा की ओर जल चढ़ाते समय ध्यान केंद्रित रखें और अपने मन की इच्छाओं को समर्पित करें।
3. अर्घ्य के बाद प्रार्थना
अर्घ्य अर्पण करने के बाद हाथ जोड़कर चंद्रमा के समक्ष प्रार्थना करें। प्रार्थना में अपने परिवार की सुख-शांति, समृद्धि, और संतान की लंबी उम्र की कामना करें। गणेश जी और चंद्रमा दोनों से आशीर्वाद प्राप्त करें। यह अनुष्ठान मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्धि का प्रतीक है।
सकट चौथ पर चंद्रमा की पूजा
सकट चौथ एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस दिन गणेश जी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य देना इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करके माताएं अपने बच्चों के कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करती हैं। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ा जाता है।
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा विशेष महत्व रखती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का समापन किया जाता है।
करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा को जल अर्पण करने की विधि विशेष होती है, जिसमें पान, सुपारी और अपने केश का एक भाग पकड़कर अर्घ्य दिया जाता है। इस क्रिया से पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती आती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा
शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे चंद्रमा की विशेष पूजा के साथ मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ प्रकट होता है, जो इसे अत्यधिक शक्तिशाली और शुभ बनाता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी मानसिक और शारीरिक बीमारियां दूर होती हैं।
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा के प्रकाश में खीर रखने की परंपरा भी है, जिसे अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। चंद्रमा के प्रकाश में रखी गई खीर औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इसे ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देने के लाभ
चंद्रमा को अर्घ्य देने से कई लाभ होते हैं। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसके अनेक फायदे बताए गए हैं। यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
1. मानसिक शांति
चंद्रमा को जल अर्पित करने से मन शांत होता है। यह हमारे मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और तनाव को कम करता है।
2. रोगों से मुक्ति
चंद्रमा को अर्घ्य देने से शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। खासकर मानसिक तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
3. संतान सुख
जो माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं, उनके लिए चंद्रमा की पूजा अत्यधिक फलदायक होती है।
4. पारिवारिक समृद्धि
चंद्रमा को अर्घ्य देने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। घर में समृद्धि आती है और सभी सदस्यों के बीच आपसी प्रेम और समझ बढ़ती है।
5. ग्रह दोषों का निवारण
ज्योतिषीय दृष्टि से चंद्रमा का कमजोर होना व्यक्ति के जीवन में मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता ला सकता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष (Chandra Dosha) कम होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
चंद्रमा से जुड़ी कथाएं और मान्यताएं
चंद्रमा से जुड़ी अनेक धार्मिक कथाएं और मान्यताएं हिंदू धर्म में प्रचलित हैं। इनमें सबसे प्रमुख कथा गणेश जी और चंद्रमा के बीच का संवाद है। मान्यता है कि जब गणेश जी को हाथी का मुख लगाया गया था, तो चंद्रमा ने उन पर हंस दिया था। इस पर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि वे अपनी चमक खो देंगे और जो भी व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा देखेगा, उसे कलंक लगेगा। बाद में, चंद्रमा ने गणेश जी से माफी मांगी, जिसके बाद उन्हें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की व्यवस्था दी गई। इस घटना के आधार पर संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने की परंपरा है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने के अन्य अवसर
1. संकष्टी चतुर्थी
हर महीने आने वाली संकष्टी चतुर्थी गणेश जी की पूजा के साथ-साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
2. पूर्णिमा व्रत
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन चंद्रमा की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
3. कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन चंद्रमा को जल चढ़ाने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य से जुड़े 5 सामान्य प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा इसलिए होती है क्योंकि चंद्रमा को सौम्यता और मानसिक शांति का प्रतीक माना जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं, और चंद्रमा को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
प्रश्न 2: करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की सही विधि क्या है?
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए तांबे या चांदी के पात्र में जल लें। उसमें रोली, अक्षत (चावल), और फूल डालें। चंद्रमा के उदय के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके खड़े हों, जल अर्पित करें और यह मंत्र बोलें: “ॐ सोमाय नमः”। इसके बाद पति के दीर्घायु की कामना करें।
प्रश्न 3: करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- तांबे या चांदी का लोटा (जल पात्र)
- शुद्ध जल
- रोली
- अक्षत (चावल)
- फूल
- दीपक और कुमकुम
- छलनी (पति को देखने के लिए)
प्रश्न 4: क्या करवा चौथ पर बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए व्रत तोड़ा जा सकता है?
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देना व्रत का आवश्यक हिस्सा है। परंपरा के अनुसार, जब तक चंद्रमा को अर्घ्य नहीं दिया जाता, तब तक व्रत पूर्ण नहीं माना जाता। अगर किसी कारण से चंद्रमा नहीं दिखाई देता, तो महिलाएं पूजा स्थल पर चंद्रमा की तस्वीर या मूर्ति की पूजा करके व्रत खोल सकती हैं।
प्रश्न 5: करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देते समय कौन सा मंत्र बोला जाता है?
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
“ॐ सोमाय नमः”
इस मंत्र से चंद्रमा को प्रसन्न किया जाता है और पति की लंबी उम्र व स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
निष्कर्ष
चंद्रमा को अर्घ्य देना एक अत्यंत पवित्र और फलदायक अनुष्ठान है, जिसका धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से गहरा महत्व है। इसे सही विधि और मंत्रों के साथ करने से मानसिक शांति, पारिवारिक सुख-समृद्धि, और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
चाहे वह करवा चौथ हो, सकट चौथ हो, या शरद पूर्णिमा—चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा का पालन करना शुभ माना जाता है। इससे हमारी जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान मिलता है और चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है।
“ओम सोम सोमाय नमः”