Mitti ka shivling: मिट्टी का शिवलिंग का निर्माण और उसकी पूजा हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, विशेष रूप से शिव महापुराण में इसका विशेष स्थान है। कलयुग में मिट्टी से बने शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है, जिसकी पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान शिव की इस पार्थिव पूजा का वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इस लेख में, हम पार्थिव शिवलिंग बनाने की सही विधि, उसके धार्मिक महत्व और पूजा के लाभों पर चर्चा करेंगे।
मिट्टी का (पार्थिव) शिवलिंग क्या है? (What is Mitti ka Shivling?)
मिट्टी का शिवलिंग (पार्थिव) का एक प्रकार है जिसे विशेष रूप से मिट्टी, गोबर, गुड़, मक्खन, और भस्म का उपयोग करके बनाया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य भगवान शिव की पूजा करना और उनके आशीर्वाद से जीवन की सभी कठिनाइयों से मुक्ति पाना है। शिवपुराण के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग का महत्व इस युग में सबसे अधिक माना जाता है, खासकर मोक्ष प्राप्ति के लिए।
मिट्टी का शिवलिंग बनाने की सामग्री (Materials Required for Making Mitti ka Shivling)
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए कुछ खास सामग्री की आवश्यकता होती है। सही सामग्री का चयन करने से पूजा अधिक प्रभावी और फलदायी होती है। ये सामग्री निम्नलिखित हैं:
- पवित्र मिट्टी (अधिमानतः बेल वृक्ष की मिट्टी या चिकनी मिट्टी)
- गाय का गोबर
- गुड़
- मक्खन (बिना नमक का)
- भस्म (धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त)
- गंगाजल
मिट्टी का शिवलिंग बनाने की विधि (Method of Making Mitti ka Shivling)
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि वह शास्त्रों के अनुसार सही तरीके से बने।
- मिट्टी का चयन: सबसे पहले शुद्ध और पवित्र मिट्टी लें। अगर संभव हो तो बेल के पेड़ के नीचे की मिट्टी या गंगा नदी के किनारे की मिट्टी का उपयोग करें।
- सामग्री को मिलाना: गाय का गोबर, गुड़, मक्खन, और भस्म को मिट्टी के साथ मिलाएं। इस मिश्रण को अच्छी तरह से गूंथ लें और उसमें गंगाजल मिलाकर एक सान जैसा तैयार करें।
- शिवलिंग का आकार: शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से अधिक नहीं होनी चाहिए और इसे अंगूठे के आकार से छोटा भी नहीं बनाना चाहिए। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शिवलिंग का आकार पूजा के लिए उपयुक्त हो और नियमों का पालन हो।
- आकृति देना: हाथों से शिवलिंग को ध्यान से आकार दें। यह सुनिश्चित करें कि आकार शास्त्रों के अनुरूप हो और उसमें किसी प्रकार की विकृति न हो।
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग का धार्मिक महत्व (Religious Importance of Mitti ka Parthiv Shivling)
शिव महापुराण में मिट्टी का शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसे कलयुग में मोक्ष प्राप्ति का एक प्रमुख साधन माना गया है। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, शिवपुराण में बताया गया है कि जो भक्त नियमित रूप से पार्थिव शिवलिंग का पूजन और रुद्राभिषेक करते हैं, उन्हें विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग पूजा की विधि (How to Worship Mitti ka Parthiv Shivling)
मिट्टी का शिवलिंग की पूजा के लिए भी कुछ नियम और विधियां हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। इस पूजा में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है, जो सबसे प्रभावी माना जाता है।
- स्थान का चयन: पूजा के लिए पवित्र और शुद्ध स्थान का चयन करें। यह स्थान मंदिर हो सकता है या घर का कोई पवित्र कोना।
- शिवलिंग की स्थापना: पार्थिव शिवलिंग को साफ जगह पर स्थापित करें और उसके चारों ओर गंगाजल छिड़कें।
- अभिषेक: पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक गंगाजल, दूध, दही, घी, और शहद से करें। इसे पंचामृत अभिषेक कहा जाता है। इसके साथ ही बेलपत्र, धतूरा, और शमी के पत्तों का उपयोग करें।
- रुद्राभिषेक: शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है।
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लाभ (Benefits of Worshiping Mitti ka Parthiv Shivling)
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह पूजा न केवल भगवान शिव को प्रसन्न करती है, बल्कि भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- मनोकामनाओं की पूर्ति: पार्थिव शिवलिंग की पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन की सभी कठिनाइयों का समाधान मिलता है।
- अकाल मृत्यु का भय समाप्त: इस पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में दीर्घायु प्राप्त होती है।
- धन-धान्य की प्राप्ति: पार्थिव शिवलिंग की पूजा से धन, धान्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इससे जीवन में किसी भी प्रकार की धन संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
- शिव कृपा से मोक्ष: पार्थिव शिवलिंग की नियमित पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है, जिससे वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
मिट्टी का शिवलिंग से जुड़ी पौराणिक कथा (Mythological Story Related to Parthiv Shivling of Mitti)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर आक्रमण से पहले भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थी। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें विजय प्राप्त हुई और उन्होंने रावण का वध किया। इसी प्रकार शनिदेव ने भी मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग की पूजा करके अपने पिता सूर्यदेव से अधिक शक्ति प्राप्त की थी।
सावन में मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व (Significance of Mitti ka Shivling in Sawan)
सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। सावन में शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है और भक्तों की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग के साथ रुद्राभिषेक का महत्व (Importance of Rudrabhishek with Mitti ka Parthiv Shivling)
पार्थिव शिवलिंग की पूजा के साथ रुद्राभिषेक का बहुत महत्व है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और इसे करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल अर्पित करना चाहिए।
मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग की पूजा कौन कर सकता है? (Who Can Worship Mitti ka Parthiv Shivling?)
पार्थिव शिवलिंग की पूजा कोई भी भक्त कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। इस पूजा में उम्र या जाति का कोई भेदभाव नहीं है। जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें पार्थिव शिवलिंग की पूजा से विशेष लाभ मिलता है।
मिट्टी का शिवलिंग से पापों का नाश (Destruction of Sins through Mitti ka Parthiv Shivling)
शिव महापुराण में कहा गया है कि मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग की पूजा से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं। इस पूजा को नियमित रूप से करने से भक्त को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
मिट्टी का शिवलिंग की पूजा हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत बड़ा है, विशेष रूप से कलयुग में। पार्थिव शिवलिंग का निर्माण और उसकी पूजा न केवल भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करती है, बल्कि उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा और मोक्ष भी प्रदान करती है।